सामान्य मामलों के आधार पर सभी भारतीयों का इत्तेहाद संभव हैं

तौहीद और मानवता सभी धर्मों में सामान्य है: ख़ानक़ाह ए आरिफ़िया में आयोजित राष्ट्रीय एकता सम्मलेन कार्यक्रम में स्वामी अग्नि वेश का इज़हार ए ख्याल
ख़ानक़ाह ए आरिफ़िया, सैय्यद सरावां, कौशाम्बी
भारत में गंगागंगा जमनि तहज़ीब यहाँ के सूफियों और संतों की देन है । उन्होंने इस धरती पर शांति व मोहब्बत, रवादारी और मुसावात, मेल मिलाप और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय एकता का दरस दिया है, जो देश की सामूहिक अखंडता, शांति और विकास के लिए ज़रूरी है । आज जबकि गैर शांति पसनद लोग धर्म एंव मज़हब के नाम पर देश में दंगे और आतंक फैलाने और देश की शांति का गला घोंटने में मसरूफ हैं, ऐसे हालात में ज़रूरी है कि राष्ट्र व मज़हब के वास्तविक प्रतिनिधि एक बार फिर से अनेकता में एकता का नारा लगाने और देश के विकास और शांति में सहयोग करें । इन ख़्यालात का इज़हार ख़ानक़ाह ए आरिफ़िया, सैय्यद सरावां में आयोजित राष्ट्रीय एकता सम्मलेन कार्यक्रम में शरीक पर्तिनिधियों ने किया ।
प्रोग्राम के नाज़िम मौलाना आरिफ इक़बाल मिस्बाही ने कहा कि एकता और मानवता की शिक्षा पर सारे धर्म मुत्तफ़िक़ हैं । हमें इन्हीं में एकता की राह तलाश कर के शांति, प्रेम और मानवीय भावनाओं को बढ़ावा देना होगा । मुश्तरक अमूर में सब एक साथ रहें, और अलग अलग मामलों में सभी को अपनी सोच और धर्म का पालन करना चाहिए । common minimum program  के ज़रिये ही मुल्क में इत्तेहाद एंव इत्तेफाक की रह हमवार की जा सकती है ।
इस महफ़िल के प्रमुख गेस्ट स्वामी अग्निवेश ने एकता पर चर्चा करते हुए कहा कि सारी दुनिया का मालिक एक है, उन्होंने सारे वेदों और उपनिषदों के हवाले से यह स्पष्ट किया कि किसी भी वेद और उपनिषद में बुतपरस्ती की शिक्षा नहीं है, बल्कि वेदों और उपनिषद में तो एकता की प्रेरणा एंव शिक्षा और बुतपरस्ती की कड़ी निंदा की गयी है । शराब के हवाले से भी स्वामी जी ने कहा कि जब भारत स्वतंत्र हुआ था तो उस समय महात्मा गांधी ने कहा था कि आप लोग मुझे केवल 48 घंटे के लिए होकुमत की बाग डोर दे दें, इन घंटों में सरे शराब के अड्डों को मैं ख़त्म कर दूंगा ।
शिक्षा पर चर्चा करते हुए स्वामी जी ने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि वे सारे बच्चों को बिना भेद भाव के शिक्षा देने के लिए हर संभव कोशिश करे । आखिर क्यों हमारी सरकारी स्कूलों में ऐसा कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारियों नहीं है जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने बच्चों की सरकारी स्कूलों में भेजे! और सरकारी स्कूलों कि हालत क्यों इतनी ख़राब है ? सरकार चाहे तो एक दिन में इन तमाम मामस्कूलों को ठीक कर सकती है, अगर सारे नेताओं और अधिकारियों पर यह अनिवार्य कर दिया जाये की वह अपने सारे बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही शिक्षा दिलाएं ।
अंत में ओवैस रज़ा ने बारगाह नबवी में सलाम पेश किया और ख़ानक़ाह ए आरिफ़िया के साहिबे सज्जादा शैख़ दाई ए इस्लाम के पुत्र औसत मौलाना हुसैन सईद सफ़वी ने दुआ की । यह कार्यक्रम शाह सफ़ी मेमोरियल ट्रस्ट की जानिब से आयोजित किया गया था ।




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